प्रदेश में महिलाओं के उत्पीड़न सम्बन्धी शिकायतों के निस्तारण , विकास की प्रकिया में सरकार को सलाह देने तथा उनके सशक्तिकरण हेतु आवश्यक कदम उठाने के उद्देश्य को लेकर 2002 में महिला आयोग का गठन किया गया था। वर्ष 2004 में आयोग के क्रियाकलापो को कानूनी आधार प्रदान करने के लिए उ.प्र. राज्य महिला आयोग अधिनियम 2004 अस्तित्व में आया। तत्पश्चात पुन: जून 2007 में अधिनियम में कतिपय संशोधन कर आयोग का पुनर्गठन किया गया। पुन: दिनांक 26 अप्रैल 2013 को अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर आयोग का पुनर्गठन किया गया।
1.व्हाट्सऐप नम्बर की सुविधा- नवीन आयोग के गठन के पश्चात् मा. अध्यक्ष के निर्देशानुसार सर्वप्रथम आयोग में प्राप्त होने वाली शिकायती प्रार्थना पत्रों पर त्वरित कार्यवाही एवं उनका शीघ्र निस्तारण कराये जाने के उद्देश्य से दिनांक 29.08.2018 को आयोग में व्हाट्सऐप नम्बर (6306511708) की सुविधा सृजित कर नम्बर प्रसारित किया गया, प्रदेश के विभिन्न जनपदों से पीड़ित महिलाएं शीघ्र एवं अत्यन्त सुगमता से आयोग को अपना शिकायती प्रार्थना पत्र प्रेषित कर रही है। व्हाट्सऐप के माध्यम से महिला उत्पीड़न से सम्बंधित प्राप्त शिकायती प्रार्थना पत्रों पर आयोग द्वारा तत्काल संज्ञान लेकर सम्बन्धित जनपद के सक्षम अधिकारियों को जांच/आवश्यक कार्यवाही हेतु आदेशित कर उन पर त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाती है।
2.आयोग मुख्यावास पर नियमित सुनवाई- आयोग में विभिन्न माध्यमों से प्राप्त शिकायती प्रार्थना पत्रों पर त्वरित कार्यवाही कराने एवं पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के उद्देश्य से सप्ताह के समस्त कार्य दिवसों में मा. अध्यक्ष के निर्देशानुसार मा. सदस्यों के पृथक-पृथक दिवस निर्धारित कर नियत दिवसों पर प्रकरणों की सुनवाई कर शीघ्र निस्तारण कराया जाता है।
3.स्थलीय जनसुनवाई (प्रत्येक माह के प्रथम व तृतीय बुधवार)-
4.विभिन्न जनपदों में संचालित विभिन्न गृहों का निरीक्षण- आयोग के मा. पदाधिकारियों द्वारा विभिन्न जनपदों में संचालित बालिका गृहों, महिला अस्पतालों, महिला बन्दी गृहों एवं महिलाओं से सम्बन्धित विभिन्न गृहों का निरीक्षण कर संज्ञान में आयी कमियों को दूर करने के लिये सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है एवं आवश्यकतानुसार शासन को सुझाव/संस्तुतियाँ भी प्रेषित की जाती है।
5.स्थलीय निरीक्षण- उ.प्र. राज्य महिला आयोग की मा. पदाधिकारियों द्वारा प्रदेश के विभिन्न जनपदों में घटित महिला उत्पीड़न की गम्भीर घटनाओं का स्वतः संज्ञान लेते हुए पीड़िता/पीड़ित परिवार से भेंट कर आवश्यकतानुसार स्थलीय जांचोपरान्त सम्बन्धित अधिकारियों को त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश दिये जाते हैं।
6.स्वतः संज्ञान-आयोग द्वारा प्रदेश में महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर रोकथाम और पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाये जाने के उद्देश्य से मीडिया के विभिन्न माध्यमों (इलेक्ट्रानिक मीडिया एवं प्रिन्ट मीडिया) पर प्रसारित/प्रकाशित होने वाली घटनाओं का स्वतः संज्ञान लेते हुए आवश्यकतानुसार दूरभाष पर घटना की जानकारी प्राप्त करने के साथ ही सम्बन्धित जिलों के पुलिस अधिकारियों को पत्र भेजकर घटनाओं पर समुचित कार्यवाही करने एवं पीड़िता को न्याय दिलाये जाने का प्रयास किया जाता है।
7. प्राप्त शिकायती प्रार्थना पत्र पर की जाने वाली कार्यवाही की प्रक्रिया-
8.अन्य कार्य-